Saturday 19 October 2013

बापू के बहाने......... 2



रावण जब मृत्यु शय्या पर था तो राम ने लक्ष्मण को रावण के पास ज्ञान प्राप्ति के लिए भेजा था, इस लिए क्योकि रावण प्रकांड विद्ववान था। ये वही राम थे जिनकी पत्नी को हर लेने के अपराध में रावण मृत्यु को प्राप्त हुआ था। ये वही राम थे जिनके रूप में विष्णु मृत्यु लोक में अवतरित हुए थे। ये वही रावण था जो शिव का सबसे बड़ा उपासक था। ये वही रावण है जिसकी आज भी कई जगह पूजा होती है।


रावण को पराई स्त्री पर कु-दृष्टि डालने की भारी कीमत चुकानी पड़ी, आखिर क्यो..... क्योंकि ये वही रावण था जो जानता था कि राम द्वारा वध के बाद ही वह असुर योनि से मुक्त होगा....... और इस मुक्ति की युक्ति में उसने सीता हरण किया.... इसलिए क्योंकि उसने अपनी पूरी विद्वत्ता को सिर्फ अपनी मुक्ति के लिए इस्तेमाल किया। यानि हकीकत में रावण का सीता हरण का उद्देश्य उनके जिस्म को पाना नहीं, बल्कि अपनी असुर योनि से मुक्ति पाना था। समग्रता में रावण का दोष ये था कि उसने अपने ज्ञान का, अपनी विद्वत्ता का और अपनी समस्त शक्तियों का भरपूर दुरुपयोग किया........सिर्फ अपने स्वार्थ को पूरा करने के लिए।



एक पुत्रवत मित्र शांतनु उपाध्याय ने चंद दिनों पहले आसाराम बापू के कुछ अच्छे कामों की वीडियो क्लिप्स अपनी वाल पर पर देते हुए कहा है कि Media will never show this ये वीडियो क्लिप आसाराम बापू के देवत्व और भलाई को दर्शाते हैं। ये वीडियो क्लिप आसाराम बापू के प्रकट सत्य हैं। ये वीडियो क्लिप तमाम सारे साधू-संतों का वो चेहरा है जो उनके भक्तों की अपेक्षाओं के अनुरूप है। इस उदार चेहरे को मीडिया नहीं दिखा रहा, मीडिया दिखा रहा है अप्रकट सत्य को...... उस चेहरे को जिसे किसी ने नहीं देखा था....... जिसे बरसों से बड़े जतन से छुपा कर रखा गया था।



अब वही पूर्व सेवादार या समर्थक वास्तविक चेहरा सामने लाने की जुर्रत कर पा रहे हैं जो बरसों तक चुप थे या उनके अनुसार चुप रहने को मजबूर थे। टी वी पर बैठे वर्तमान समर्थक, पूर्व सेवादार या पूर्व समर्थक के आरोपों को इस लिए षड्यंत्र बताते हैं क्योंकि वो पिछले कई बरसों से चुप था।



रावण का छोटा भाई विभीषण ना जाने कब से ये सत्य जानता था कि नाभि में अमृत के कारण रावण अमर है, लेकिन उसने अनुकूल वक्त आने पर सुपात्र के सामने ही इस रहस्य को उजागर किया। क्या ये कहा जा सकता है कि विभीषण ने पहले क्यों नहीं बताया....... या उसने किन्ही निहित स्वार्थों के कारण ये कदम उठाया? मित्र एक कहावत है कि घर का भेदी लंका ढाये...... एक और कहावत है कि पाप का घड़ा भरने में वक्त लगता है, लेकिन ये घड़ा फूटता जरूर है........



बापू और अब तो उनके बेटे पर भी वही आरोप लग रहे हैं जो रावण पर लगे थे। रावण के कृत्य के पीछे का स्वार्थ मुक्ति था इस लिए वो कभी राम से छिपता नहीं फिरा बल्कि उन्हे ललकारता रहा। बापू ने भी पहले ललकारा था........ लेकिन उनकी ललकार थी नेताओं को, और चुनौती थी चुनाव में हार जाने की। इस चुनौती का असर ना होने पर, बापू का छुपना और अब उनके परिवार का छुपना दर्शाता है कि लोक कल्याण कारी कार्यों के परमार्थ के पीछे के स्वार्थ का चेहरा कुछ और है। क्या ये संभव नहीं है कि इस चेहरे को छुपाने के लिए ही पूरा परिवार गायब हो गया हो.........




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